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प्रारम्भः सन् १९७० के लगभग समाज के कुछ युवाओं जिसमें अग्रणी थे डॉ राम खेतपाल, श्री ज्ञान वासवानी, श्री तेजभान कृपलानी, श्री मुरली माखीजा श्री रूप मेघानी , श्री रमेच्च पृथवानी इत्यादि ने सिंधी युवाओं का एक संगठन गठित करने का स्वप्न देखा जिसे सिंधु युथ एसोच्चिएसन का नाम दिया गया । प्रारंभिक उतार चढाव को सहते हुए अन्ततः संस्था ने सन् १९७२ में अपना रजिट्रेच्चन करवाया एवं उसका विधिवत् गठन हुआ । डॉ राम खेतपाल संस्था के संस्थापक अध्यक्ष चुने गये । डॉ राम खेतपाल के कुच्चल नेतृत्व में संस्था ने उत्तरोत्तर प्रगति की । संस्था ने ने प्रांराम्भिक दौर में समाज सेवा के कई छोटे बडे कार्य किये जिसमें विच्चेष रूप से समाज के कमजोर वर्ग का खास ध्यान रखा गया । सिलाई मच्चीनो ं का वितरण, निर्धन छात्रो ं को च्चिक्षा हेतु आर्थिक सहयोग, बिमारी से ग्रस्त व्यक्तियो कि सहायता इत्यादि पुनीत कार्य संस्था के तत्कालीन पदाधिकरियों ने किये । उस समय संस्था के पास अपना कोई स्थायी भवन इत्यादि न होने के कारण अपनी बैठके आयोजित करने में भी असुविधा का सामना करना पडता था। बैठको का भी कोई भी स्थान निच्च्िचत नहीं होता था, जब जहां जैसी जगह मिली बैठके आयेजित होती रही । इतनी असुविधाएं सहते हुए दुगने उत्साह से संस्था के उद्धेच्च्यो कि पूर्ति हेतु जुझते रहे। स्थायी रूप से संस्था के लिये भवन बनाने हेतु सभी कार्याकालों के दौरान तत्कालीन पधाधिकारी प्रयासरत् रहे है और संकल्प पारित करते रहे कि संस्था एवं समाज के लिये एक बहुद्धेच्चीय ंिसंधु भवन का निर्माण कराया जाय।